मंगलवार, 29 मई 2012

सौराठ सभाक एक हजार वर्षक गौरबपूर्ण इतिहास अहाँ स किछ कहैत अई


मैथिलक गौरवपूर्ण धरोहर सौराठ सभाक मृत प्रायः भै गेला स समस्त मिथिलाक प्रम्परक नस्ट भेनाई तय भ गेल अई | अंतरजातीय विवाह आ बर्न्शंकर अई गौरबशाली समाज के पूर्णतह  नस्ट क देत आ एकर पूर्ण जिम्मेदार हम स्वयं लोभी, दहेजक भूखल, स्वाभिमान स हीन, पुरषार्थ विहीन  मैथिलबासी छि जे अपन आचरण स हीन ब्राम्हण स बनिया बनी गेल छि, जे सम्बन्ध नई व्यापार करै छि, जे स्त्रीक सम्मान पीढ़ीक निर्माणक लेल नई, ओकर उपहास कई भोगक लेल उपयोग करै छि |  संकल्प करू सहयोग करू अपन संस्कार-सभ्यातक उत्थान करू | 

2 टिप्‍पणियां:

  1. Priya Pankajji apnek jatek baray kari otek kam hoyat. apnek prashansha hetuk hamra pass upyukt shabd nahi achhi. apnek krantikari vichar bahut neek lagal aur ishwar san prarthna achhi je apnek andar vyapt i vichar mithilavasi ke jan-jan tak jevak chahiy jahi san sundar sugandhik mithilak mati je aayi dushit bha gel achhi punah sugandhit bha apan apan sarvshreshtak' parichay kara sake. Punah Dhanyabad.... Vipin

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  2. धन्यवाद, विपिन जी,

    प्रर्थना और आशीर्वाद में हमर वहुत श्रद्धा अई, सबहक कल्याण और मंगल के कामना करैत छि,आशा करैत छि मैथिल वाशी विचारक मूल्य पर सम्बन्ध बानौताह.....:)

    सादर,
    पंकज झा

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